1, 2, 5, 10 रूपए के सिक्कों की यह खासियत जान हैरान हुआ भारत, आप भी जाने Indian Coin Importants

हमारे दैनिक जीवन में 1, 2, 5 और 10 रुपए के Indian Coin अक्सर हमारे सामने होते हैं लेकिन इन सिक्कों के बारे में बहुत सी जानकारी ऐसी है जिसे हम सामान्यत नजरअंदाज कर देते हैं। सिक्कों पर अंकित विशेष चिन्ह और निशान उनकी उत्पत्ति और निर्माण स्थल को दर्शाते हैं। आइए इन चिन्हों और उनके महत्व पर एक विस्तृत नज़र डालें।

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1, 2, 5, 10 रूपए के सिक्कों की यह खासियत जान हैरान हुआ भारत, आप भी जाने Indian Coin Importants

भारत में प्रमुख मिंट्स और उनके विशेष चिन्ह

भारत में सिक्कों का निर्माण चार प्रमुख मिंट्स (टकसाल) द्वारा किया जाता है मुंबई मिंट कलकत्ता मिंट हैदराबाद मिंट और नोएडा मिंट। प्रत्येक मिंट का अपना विशेष चिन्ह होता है जो यह बताता है कि सिक्का किस मिंट में निर्मित हुआ है।

मुंबई मिंट का इतिहास और चिन्ह

मुंबई मिंट मुंबई मिंट भारतीय मिंट्स में से एक सबसे पुराना मिंट है। इसे अंग्रेजी हुकूमत ने 1859 में स्थापित किया था। मुंबई का स्थान आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था इसलिए इस मिंट को स्थापित किया गया। इस मिंट का विशेष चिन्ह ‘M’ होता है जो कि सिक्कों पर अंकित होता है, जिससे यह पता चलता है कि सिक्का मुंबई मिंट द्वारा निर्मित है।

कलकत्ता मिंट का ऐतिहासिक महत्व

कलकत्ता मिंट कलकत्ता मिंट भी एक ऐतिहासिक मिंट है जिसे 1859 में अंग्रेजों ने स्थापित किया था। इस मिंट का चिन्ह ‘K’ होता है। इस मिंट के सिक्के इंग्लिश शासनकाल के दौरान बनाए गए थे और यह चिन्ह अब भी उन सिक्कों पर अंकित होता है जो कलकत्ता मिंट से निकलते हैं।

हैदराबाद मिंट और इसका विशेष चिन्ह

हैदराबाद मिंट हैदराबाद मिंट की स्थापना 1903 में निजाम की सरकार ने की थी और 1950 में यह भारत सरकार के अधीन आ गया। इस मिंट के सिक्कों पर तारीख के नीचे एक विशेष चिन्ह होता है—स्टार या डायमंड शेप का डॉट। यह चिन्ह सिक्के के निर्माण वर्ष को दर्शाता है और सिक्के की विशिष्टता को बनाए रखता है।

नोएडा मिंट और स्टेनलेस स्टील के सिक्के

नोएडा मिंट नोएडा मिंट की स्थापना 1986 में की गई थी और 1988 से यहां स्टेनलेस स्टील के सिक्कों का निर्माण शुरू हुआ। नोएडा मिंट के सिक्कों पर ‘N’ चिन्ह अंकित होता है जो इसकी पहचान बनाता है।

सिक्कों का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व

इन मिंट्स की पहचान न केवल सिक्कों की उत्पत्ति को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि सिक्के किस समयकाल और किस भौगोलिक क्षेत्र में निर्मित हुए थे। इस प्रकार हर सिक्का एक ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह होता है जो हमें हमारे अतीत और आर्थिक इतिहास से जोड़ता है।

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