क्या आप जानते हैं भारत के पहले सिक्के की कहानी, जिसने सोने की मुद्राओं को भी किया फेल, एक बार ज़रूर जाने India First coin

India First coin: 19 अगस्त 1757 को भारत में एक ऐतिहासिक घटना घटी जब पहली बार एक रुपए का सिक्का जारी किया गया। इस दिन ने भारतीय मुद्रा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया क्योंकि इससे पहले भारत में विभिन्न प्रकार की मुद्राएं प्रचलित थीं, जो व्यापार और लेन-देन में कई समस्याएँ पैदा कर रही थीं। यह सिक्का ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लाया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार की असुविधाओं को समाप्त करना था।

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क्या आप जानते हैं भारत के पहले सिक्के की कहानी, जिसने सोने की मुद्राओं को भी किया फेल, एक बार ज़रूर जाने India First coin

कलकत्ता टकसाल और ब्रिटिश शासन की शुरुआत

इस नए सिक्के की ढलाई कलकत्ता के टकसाल में की गई। यह वह समय था जब प्लासी की लड़ाई के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर नियंत्रण स्थापित किया था। ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय मुद्रा प्रणाली को मानकीकृत करने की आवश्यकता महसूस की गई। विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित मुद्राओं की असमानता और विविधता ने व्यापारिक समस्याएँ उत्पन्न की थीं जिसे हल करने के लिए एक समान मुद्रा प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया।

यूनिफॉर्म कॉइनेज एक्ट और मुद्रा का मानकीकरण

1835 में पारित यूनिफॉर्म कॉइनेज एक्ट ने पूरे देश में एक ही प्रकार की मुद्रा को मान्यता दी जिससे विभिन्न मुद्राओं की विविधता समाप्त हो गई। इस कानून ने भारतीय मुद्रा प्रणाली को सुव्यवस्थित किया और व्यापारिक लेन-देन को सरल बनाया। सिक्कों पर ब्रिटिश शासकों की तस्वीरें अंकित की जाती थीं जिनमें महारानी विक्टोरिया की छवि विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी।

पहले के सिक्के और आज के सिक्के

एक रुपए का सिक्का जारी होने से पहले भारत में सोने चांदी और तांबे के सिक्के प्रचलित थे, जिनके नाम क्रमशः कैरोलिना एंजलीना और कॉपरून थे। स्वतंत्रता के बाद भी ब्रिटिश कालीन सिक्के लंबे समय तक प्रचलन में रहे। 1962 में भारत ने अपने सिक्के ढालने शुरू किए और आज भी एक रुपए का सिक्का बाज़ार में उपलब्ध है। हालांकि इसकी डिजाइन में समय-समय पर बदलाव हुआ है लेकिन मूल्य वही बना रहा है।

रुपए की ऐतिहासिक भूमिका

एक रुपए के सिक्के की शुरुआत ने भारतीय मुद्रा प्रणाली में एक नई क्रांति लाई। यह सिक्का न केवल मुद्रा के मानकीकरण का प्रतीक था बल्कि ब्रिटिश राज के आर्थिक और प्रशासनिक प्रभाव को भी दर्शाता था। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और आज भी इसका इतिहास भारतीय मुद्रा की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

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