बिहार के इस गरीब व्यक्ति के पास हैं 1866 के ऐसे सिक्के जिनकी कीमत है लाखो, जाने पूरी कहानी Old Coin Collection 2024

Old Coin Collection 2024: पूर्णिया बिहार के निवासी दिनेश पंडित जिनकी जीवन यात्रा एक विशेष प्रकार के शौक से जुड़ी है आज एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं। उनके पास 1866 से लेकर आजादी तक के भारतीय सिक्कों का एक अनमोल संग्रह है। दिनेश पंडित ने अपने जीवन के कई वर्षों को इन ऐतिहासिक सिक्कों को इकट्ठा करने में बिताया है। यह संग्रह न केवल भारतीय इतिहास की एक जीवित मिसाल है बल्कि भारतीय मुद्राओं के विकास का भी साक्षी है।

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बिहार के इस गरीब व्यक्ति के पास हैं 1866 के ऐसे सिक्के जिनकी कीमत है लाखो, जाने पूरी कहानी Old Coin Collection 2024

दिनेश पंडित के पुराने सिक्के

दिनेश पंडित का कहना है कि उनका पुराना सिक्का संग्रह उनकी बचपन की रुचि का परिणाम है। उन्होंने छोटे से ही पुराने सिक्कों के प्रति एक गहरी दिलचस्पी महसूस की और इसे एक जीवनभर के शौक के रूप में अपनाया। उनके संग्रह में 1866 से लेकर 150 साल पुराने सिक्कों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें कूका आंदोलन के समय जारी किए गए सिक्के 2 पैसे 5 पैसे 10 पैसे और 20 पैसे के सिक्के प्रमुख हैं। इन सिक्कों का संग्रह न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है बल्कि भारतीय समाज के विभिन्न कालखंडों की कहानी भी बयां करता है।

बेंचने को मजबूर

हालांकि दिनेश पंडित का यह अनमोल संग्रह आज एक कठिन परिस्थिति में है। वर्तमान आर्थिक संकट ने उन्हें अपने संग्रह को बेचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए कहा कि आर्थिक तंगी ने उनके शौक को एक नई दिशा दी है। अब वे चाहते हैं कि उनका संग्रह उन लोगों के पास जाए जो इसकी सही कीमत समझ सकें और इसे संजो सकें।

यहाँ करें संपर्क

दिनेश पंडित ने बताया कि वे सिक्कों को बेचना चाहते हैं और अगर कोई सिक्कों के शौक़ीन लोग हैं तो वे उनसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। उनके अनुसार पुराने सिक्के खरीदने के इच्छुक लोग उनके मोबाइल नंबर 7634029922 पर संपर्क कर सकते हैं। वे अपने संग्रह की मूल्यवत्ता और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उचित मूल्य पर इन सिक्कों को बेचने के लिए तैयार हैं।

दिनेश पंडित के संग्रह में शामिल कूका आंदोलन का सिक्का और अन्य महत्वपूर्ण सिक्के भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों के प्रतीक हैं। इस संग्रह को खोना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की भी एक कमी होगी। यह संग्रह एक अवसर है ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने और भारतीय मुद्राओं के विकास को समझने का।

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