जाने कौनसा देश है सोने में सबसे आगे, और भारत का क्या है स्थान, देखे Global Sleep Studies 2024

Global Sleep Studies 2024: के अनुसार नींद के मामले में नीदरलैंड के लोग दुनिया में सबसे आगे हैं। रिपोर्ट बताती है कि नीदरलैंड के लोग औसतन 8.1 घंटे की नींद लेते हैं, जो उन्हें अन्य देशों से बेहतर नींद वाला देश बनाता है। नींद की यह मात्रा आधुनिक जीवनशैली के बीच भी उनके बेहतर स्वास्थ्य का संकेत है।

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जाने कौनसा देश है सोने में सबसे आगे, और भारत का क्या है स्थान, देखे Global Sleep Studies 2024

दूसरे स्थान पर फिनलैंड

रिपोर्ट में फिनलैंड के लोग दूसरे स्थान पर आते हैं, जो प्रतिदिन औसतन 8 घंटे की नींद लेते हैं। नींद की यह मात्रा उनकी जीवनशैली और नियमित दिनचर्या का परिणाम है, जो उन्हें पर्याप्त विश्राम और बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करती है।

ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस भी शीर्ष में शामिल

तीसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया है, जहां लोग औसतन 7.9 घंटे की नींद लेते हैं। वहीं, चौथे स्थान पर फ्रांस के लोग हैं, जो रोजाना 7.9 घंटे सोते हैं। यह दर्शाता है कि इन देशों के लोग अपनी नींद और जीवनशैली के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखते हैं।

किस देश के लोग कितने घंटे सोते हैं

  • न्यूज़ीलैंड 7.8 घंटे
  • यूनाइटेड किंगडम 7.8 घंटे
  • कनाडा 7.7 घंटे
  • डेनमार्क 7.7 घंटे
  • संयुक्त राज्य अमेरिका 7.6 घंटे
  • जर्मनी 7.6 घंटे
  • स्वीडन 7.6 घंटे
  • इटली 7.5 घंटे
  • बेल्जियम 7.5 घंटे
  • स्पेन 7.4 घंटे
  • जापान 7.4 घंटे
  • दक्षिण कोरिया 7.4 घंटे
  • ब्राजील 7.3 घंटे
  • रूस 7.3 घंटे
  • मेक्सिको 7.2 घंटे

भारत का स्थान 20वें नंबर पर

भारत, इस स्टडी के अनुसार, सोने के मामले में 20वें स्थान पर आता है। भारत के लोग औसतन 7.1 घंटे की नींद लेते हैं। हालांकि, यह नींद की उचित मात्रा से कम मानी जाती है, और इसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। कम नींद लेने से तनाव, थकान, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

जीवनशैली और नींद का गहरा संबंध

रिपोर्ट यह भी बताती है कि नींद का गहरा संबंध जीवनशैली और दिनचर्या से होता है। जिन देशों के लोग अपनी दिनचर्या में संतुलन रखते हैं, वे अधिक और बेहतर नींद ले पाते हैं। आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते तनाव और काम के दबाव के कारण दुनियाभर में लोग कम सोने लगे हैं, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

इस प्रकार, नीदरलैंड और फिनलैंड जैसे देशों में जहां बेहतर नींद की आदतें देखी जाती हैं, वहीं भारत जैसे देशों में कम नींद की समस्या अधिक गंभीर होती जा रही है।

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