Note Making Factory in India: भारत की मुद्रा ‘रुपया’ का इतिहास काफी पुराना है। पहले केवल सिक्के चलते थे, लेकिन समय के साथ कागजी नोट भी चलन में आए। 1861 में अंग्रेजों के समय भारत में पहली बार कागजी नोट छापे गए। आजादी के बाद, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को नोट छापने की जिम्मेदारी दी गई।
Page Contents
नोट छापने का कार्य
डिपार्टमेंट ऑफ करेंसी मैनेजमेंट RBI के दिशा-निर्देश पर नोट छापने का काम करता है। भारत में 4 प्रमुख करेंसी नोट प्रेस हैं:
- नासिक: भारत सरकार के स्वामित्व में, 1926 से कार्यरत।
- देवास: भारत सरकार के स्वामित्व में, 1975 से कार्यरत।
- मैसूर: रिजर्व बैंक के स्वामित्व में।
- सालबोनी: रिजर्व बैंक के स्वामित्व में।
टास्क:
- नोट डिजाइन से लेकर छपाई तक की जिम्मेदारी।
- नोट और सिक्कों की डिमांड का पूर्वानुमान।
- सही वितरण सुनिश्चित करना।
- अयोग्य नोट और अप्रचलित सिक्कों को वापस लेना।
सिक्के बनाने की प्रक्रिया
सिक्के सरकारी स्वामित्व वाली चार टकसालों में बनाए जाते हैं:
- मुंबई
- हैदराबाद
- कलकत्ता
- नोएडा
स्याही का उपयोग
ऑफसेट इंक: देवास के बैंक नोट प्रेस में बनाई जाती है।
उभरी हुई छपाई की स्याही: एसआईसीपीए, एक स्विस फर्म, सिक्कम में बनाई जाती है।
इस प्रक्रिया के तहत नोटों की नकल को रोकने के लिए स्याही के कंपोजीशन में विशेष बदलाव किए जाते हैं।
इस तरह, भारत में मुद्रा की छपाई और निर्माण की प्रक्रिया को एक सुव्यवस्थित तरीके से संचालित किया जाता है।
अस्वीकरण:-
हमारी वेबसाइट की जानकारी केवल जागरूकता के लिए है। इसमें बताई गई सभी जानकारियां इंटरनेट के माध्यम से रिसर्च कर इकट्ठा की गई है। यह किसी भी प्रकार की राय नहीं है, ना ही हम किसी भी बात का दावा करते हैं। यहां दिख रहे किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए सत्यापन करने हेतु आप पूरी तरह स्वतंत्र है।
मैं एक समर्पित कंटेन्ट राइटर हूँ, और पिछले 2 वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूँ। मेरे लेखन में गहराई, सृजनात्मकता, और सटीकता का मिश्रण होता है, जो पाठकों को जानकारी के साथ-साथ एक प्रेरणादायक अनुभव भी प्रदान करता है। विभिन्न विषयों पर लेखन के माध्यम से, मैं हमेशा नई दृष्टि और विचार प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूँ, ताकि मेरे कंटेन्ट से पाठकों का जुड़ाव और समझ गहरी हो।